नई दिल्ली. धातु और खनन क्षेत्र के विश्व विख्यात कारोबारी अनिल अग्रवाल ने पहली बार अपनी प्रमुख भारतीय कंपनी वेदांता लिमिटेड के बोर्ड में जगह ली। वे अपने भाई नवीन की जगह बोर्ड में शामिल हुए हैं। मेटल कबाड़ के एक मामूली कारोबार को विश्व विख्यात खनन कंपनी के रूप में तब्दील कर डालने वाले 66 वर्षीय अग्रवाल अब तक लंदन की कंपनी वेदांता रिसोर्सेज के बोर्ड के चेयरमैन थे। उनके समूह की प्रमुख भारतीय कंपनी वेदांता लिमिटेड तेल एवं गैस, एल्यूमिनियम, बिजली, लौह अयस्क, इस्पात और कॉपर के क्षेत्र में कारोबार करती है। कंपनी ने एक बयान में कहा कि अग्रवाल को वेदांता लिमिटैड का नॉन-एक्जीक्यूटिव चेयरमैन बनाया गया है।
वेदांता के सीईओ के इस्तीफे के बाद शीर्ष प्रबंधन में हुआ बड़ा बदलाव
अग्रवाल ने वेदांता के बोर्ड में अपने भाई नवीन की जगह ली है। नवीन अब बोर्ड में एक्जीक्यूटिव वाइस चेयरमैन होंगे। वेदांता के सीईओ एस वेंकटकृष्णन के इस्तीफे के बाद कंपनी में यह बदलाव हुआ है। वेंकटकृष्णन की जगह सुनील दुग्गल ने ली है, जो फिलहाल वेदांता की इकाई हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के प्रमुख हैं। बयान में कहा गया कि कंपनी का संचालन अब एक प्रबंधन समिति करेगी, जिसमें सीईओ, सीएफओ, सीएचआरओ और सीसीओ शामिल होंगे। ये अधिकारी चेयरमैन के मार्गदर्शन में मिलकर कंपनी के लिए फैसला करेंगे। वेदांता के बोर्ड में अग्रवाल बंधुओं के अलावा अनिल की पुत्री प्रिया भी निदेशक के रूप में शामिल है। अनिल के विश्वस्त तरुण जैन भी कंपनी के बोर्ड में हैं। हिंदुस्तान यूनीलिवर के पूर्व अधिकारी अरुण कुमार जीआर वेदांता लिमिटेड में मुख्य वित्तीय अधिकारी हैं।
अनिल स्टरलाइट टेक्नोलॉजी लिमिटेड के भी नॉन-एक्जीक्यूटिव चेयरमैन हैं
अनिल अग्रवाल की एक अन्य लिस्टेड कंपनी हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड की प्रमुख उनकी पत्नी किरण हैं। अनिल स्टरलाइट टेक्नोलॉजी लिमिटेड के नॉन-एक्जीक्यूटिव चेयरमैन हैं। यह कंपनी भी शेयर बाजार में लिस्टेड है। इसके अलावा समूह की अन्य कंपनियों केयर्न ऑयल एंड गैस, स्टरलाइट कॉपर, बाल्को, सेसा गोवा आयरन ओर, वेदांता एल्यूमीनियम और इलेक्ट्र्रोस्टील स्टील्स लिमिटेड का संचालन सीईओ द्वारा होता है।