कोरोनावायरस के कारण इस साल भारतीय अर्थव्यवस्था में 0.5 फीसदी तक की गिरावट का खतरा, दूसरी तिमाही में जीडीपी 10.3 फीसदी तक घट सकती है

नई दिल्ली. नए कोरोनावायरस के कारण अगले कुछ महीने तक भारत सहित पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को गंभीर झटका लग सकता है। सबसे खराब परिस्थिति में अप्रैल-जून तिमाही में भारत की जीडीपी साल-दर-साल आधार पर 10.3 फीसदी घट सकती है। वहीं अमेरिका में लंबे समय तक मंदी जारी रह सकी है और वहां की जीडीपी इस साल 11 फीसदी से ज्यादा सिकुड़ सकती है। जापान के निवेश बैंक व फइनेंशियल सर्विसेज कंपनी नोमुरा ने साधारण स्थिति में 2020 के लिए भारत की विकास दर के अनुमान को 4.5 फीसदी से घटाकर -0.5 फीसदी कर दिया है। वायरस संक्रमण को रोकने के लिए पूरे भारत में 14 अप्रैल तक लॉकडाउन लागू है और इसके कारण इकोनॉमी का करीब 75 फीसदी हिस्सा ठप्प है।


साधारण परिस्थिति में मार्च तिमाही की विकास दर 3.1 फीसदी रहने का अनुमान
नोमुरा की प्रबंध निदेशक और भारत के लिए मुख्य अर्थशास्त्री सोनल वर्मा ने एक रिपोर्ट 'वैश्विक अर्थव्यवस्थाा पर कोरोनावायरस का असर' में कहा कि देश की विकास दर 2019 की चौथी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर 2019) की 4.7 फीसदी से घटकर इस साल की पहली तिमाही (जनवरी-मार्च) में 3.1 फीसदी पर आ सकती है। इसके बाद घरेलू और अंतरराष्ट्र्रीय मांग कमजोर होने के कारण दूसरी तिमाही में यह और गिरकर -6.1 फीसदी पर आ सकती है। तीसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में दूसरी तिमाही के मुकाबले विकास दर बढ़ेगी लेकिन इसकी गति काफी सुस्त होगी, क्योंकि कंपनियों के उत्पादन पर वायरस संक्रमण और लॉकडाउन का स्थायी असर होगा।


बेरोजगा व असंतोष बढ़ने पर सामाजिक अराजकता का खतरा
यदि कोरोनावायरस के कारण सबसे बुरी स्थिति सबसे बुरी हो जाए, जिसमें भारत में कर्ज का विकराल संकट पैदा हो जाए, कंपनियों के लिए कारोबार में टिके रह पाना कठिन हो जाए और बैंकों का बैलेंसशीट खराब होने लगे, तब क्या होगा। उस स्थिति के लिए नोमुरा ने कहा कि भारत की जीडीपी में दूसरी तिमाही (अप्रैल-जून 2020) में 10.3 फीसदी तक गिरावट आ सकती है। वहीं, 2020 की दूसरी छमाही (जुलाई-दिसंबर) में देश की जीडीपी साल-दर-साल आधार पर 1.5 फीसदी तक गिर सकती है। इतना ही नहीं, बढ़ती बेरोजगारी और असंतोष के कारण देश में सामाजिक अराजकता पैदा हो सकती है।


मुख्य ब्याज दर में 1 फीसदी की और कटौती हो सकती है
नोमुरा ने कहा कि लॉकडाउन के कारण फूड और मेडिकल वस्तुओं की कमी होने के कारण महंगाई बढ़ने का जोखिम पैदा होगा। इसके बावजूद भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अपनी मुख्य ब्याज दर में एक फीसदी की और कटौती कर सकता है। इन कदमों के कारण वित्तीय घाटा बढ़कर 5.5-6 फीसदी के दायरे में पहुंच सकता है। जबकि सरकार ने 2020-21 के लिए वित्तीय घाटा का लक्ष्य 3.5 फीसदी रखा है। दूसरी ओर यदि स्थिति अनुमान से बेहतर रही, और 21 दिनों का लॉकडाउन खत्म कर दिया गया, तो दूसरी तिमाही (अप्रैल-जून) में विकास दर -5.1 फीसदी रह सकती है और 2020 की दूसरी छमाही में यह 2.3 फीसदी रह सकती है।



अमेरिका और यूरोप की हालत होगी सबसे खराब
नोमुरा ने कहा कि कोनावायरस की महामारी का सबसे बुरा असर अमेरिका और यूरोप जोन पर होगा। अन्य देशों के अनुभवों के मुताबिक अमेरिका में कोरोनावायरस की महामारी शुरुआती चरण में ही है। सबसे बुरी स्थिति की यदि कल्पना की जाए, तो अमेरिका में लंबे समय तक मंदी रहेगी। हाल में व्हाइट हाउस ने कहा कि मौत का सबसे खराब आंकड़ा दो सप्ताह के बाद आ सकता है और सबसे बुरी स्थिति में अमेरिका में 1-2 लाख लोगों की मौत हो सकती है। नोमुरा ने कहा कि सर्वाधिक बुरी स्थिति होने पर जुलाई-दिसंबर छमाही में बड़े पैमाने पर कर्ज डूब सकता है। वित्तीय प्रणाली पर भारी दबाव बढ़ेगा और कर्ज की उपलब्धता घटेगी। ऐसी स्थिति में इस साल अमेरिका की जीडीपी में 11.3 फीसदी की गिरावट आ सकती है। फेडरल रिजर्व की मुख्य ब्याज दर 2021 के आखिर तक 0-0.25 फीसी के दायरे में रह सकती है।


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