21 दिन नहीं संभले तो 21 साल पीछे चले जाएंगे

प्यारे देशवासियों,
मैं आज एक बार फिर काेराेना वैश्विक महामारी पर बात करने के लिए आपके बीच आया हूं। 22 मार्च काे जनता कर्फ्यू का जाे संकल्प हमने लिया था, एक राष्ट्र के नाते उसकी सिद्धि के लिए हर भारतवासी ने पूरी संवेदनशीलता के साथ, पूरी जिम्मेदारी के साथ अपना याेगदान दिया। बच्चे, बुजुर्ग, छाेटे-बड़े, गरीब, मध्यम, हर वर्ग के लाेग, हर काेई परीक्षा की इस घड़ी में साथ आए। जनता कर्फ्यू काे हर भारतवासी ने सफल बनाया। एक दिन के जनता कर्फ्यू से भारत ने दिखा दिया कि जब देश पर संकट आता है, जब मानवता पर संकट आता है ताे किस प्रकार से हम भारतीय मिलकर उसका मुकाबला करते हैं।


आप सभी जनता कर्फ्यू की सफलता के लिए प्रशंसा के पात्र हैं। आप काेराेना महामारी पर पूरी दुनिया की स्थिति सुन रहे हैं और देख रहे हैं। आप यह भी देख रहे हैं कि दुनिया के समर्थ से समर्थ देशाें काे भी कैसे इस महामारी ने बिल्कुल बेबस कर दिया है। ऐसा नहीं है कि यह देश प्रयास नहीं कर रहे हैं या उनके पास संसाधनाें की कमी है। लेकिन, काेराेना इतनी तेजी से फैल रहा है कि तमाम तैयारियाें और प्रयासाें के बावजूद इन देशाें में चुनाैती बढ़ती ही जा रही है। इन सभी देशाें के दाे महीनाें के अध्ययन से जाे निष्कर्ष निकल रहा है और एक्सपर्ट भी यही कह रहे हैं कि इस वैश्विक महामारी काेराेना से प्रभावी मुकाबले के लिए एकमात्र विकल्प है- साेशल डिस्टेंसिंग। साेशल डिस्टेंसिंग यानी एक दूसरे से दूर रहना। अपने घराें में ही बंद रहना। काेराेना से बचने का इसके अलावा काेई तरीका नहीं है। काेई रास्ता नहीं है। काेराेना काे फैलने से राेकना है ताे उसके संक्रमण की साइकल काे ताेड़ना ही हाेगा। कुछ लाेग इस गलतफहमी में हैं कि साेशल डिस्टेंसिंग सिर्फ मरीज के लिए जरूरी है। यह साेचना सही नहीं है। साेशल डिस्टेंसिंग हर नागरिक के लिए, हर परिवार के लिए है। परिवार के हर सदस्य के लिए है। प्रधानमंत्री के लिए भी है। कुछ लाेगाें की लापरवाही, कुछ लाेगाें की गलत साेच आपकाे, आपके बच्चों, माता-पिता को, परिवार काे, आपके दाेस्ताें काे और आगे चलकर पूरे देश काे बहुत बड़ी मुश्किल में झाेंक देगी।


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